मोटिवेशन कहानी( motivation hindi story ): ये कहानी एक क्रुर राजा और ज्ञानी साधु की है। ज्ञानी साधु जिसने राजा को धैर्य और आंतरिक शक्ति का ज्ञान देकर राजा को धैर्य और दयालुता का सच्चा मार्ग दिखाया।
Motivation Hindi Kahani|Inspiring Moral Story| Monk and King Moral Story
क्रुर राजा और ज्ञानी साधु की कहानी
प्रेरणादायक कहानी
एक गांव जो की हरे भरे पेड़ों और कुछ खुशबूदार फूलों से घिरा हुआ था। उस गांव में एक कवियन नाम का एक बड़ा ज्ञानी साधु रहता था। वह छोटे से मठ में रहता था और अपना पूरा ध्यान प्रार्थना और ज्ञान प्राप्ति के प्रयास में लगा रहता था।
एक दिन पूरे गांव में खबर फैल गया कि गांव में एक नया राजा आया है। फ्रेडरिक नाम से पुकारे जाने वाला यह नए शासक अपने गुस्सा और उतार-चढ़ाव के लिए जाना जाता था।उसकी प्रजा उसके क्रूर व्यवहार से बहुत घबराई हुई थी।
एक दिन कवियन साधु राजमहल में जा रहा था। जब वह राजमहल के द्वारा तक पहुंचा ही था कि उसे राजमहल के भीतर से शोर और खलबली सुनाई दी। लेकिन उसने अपने मन को शांत रखते हुए गंभीरता से राजमल के द्वार को खटखटाया।
दरवाजे पर खड़े सैनिक उसकी शांत आचरण को देखकर चौंक गए और शांत स्वभाव को देखकर उसे राजमल के अंदर प्रवेश करने की अनुमति दे दी।साधु को राज्यसभा के कक्ष में ले जाया गया । राजा फ्रेडरिक गुस्से से भरे हुए भावना के साथ अपने शासनकाल पर बैठे हुए थे।
ज्ञानी साधु को देखकर राजा ने जोर से चिलाकर कहा,कौन है जो मेरी सभा में बाधा डाल रहा? राजा की क्रोध से भरी आवाज पूरे कक्षा में गूंज गई। ज्ञानी साधु ने राजा को विनम्रता से प्रणाम किया और कहा कि मैं साधु कवियन हूं। साधु ने बड़े ही विनम्र स्वभाव से कहा कि महाराज मैं एक नम्र साधु हुँ और मै मठ मे रहता हूं । महाराज मैं आपके लिए एक उपहार लाया हूं,राजा फ्रेडरिक संदेह की नजरों से साधु से कहा।कोई एक छोटा सा साधु किसी राजा को क्या उपहार दे सकता है ?
साधु ने मुस्कुराते हुए राजा से कहा कि,महाराज मै आपको धैर्य और आंतरिक शांति का ज्ञान देना चाहता हूं । फ्रेडरिक ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा मुझे आपके बेकार की ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। मैं ताकत और शक्ति से नहीं, बल्कि अपने विचार से शासन करता हूं।
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साधु ने बड़े ही विनम्र स्वभाव से मुस्कुराते हुए कहा महाराज माफ कीजिए!लेकिन सच्ची ताकत ना किसी को आज्ञा देने में होती है , खुद को नियंत्रित करने में होती है। क्रोध एक अस्थाई भावना है,लेकिन धैर्य एक गुण है जो सदैव बना रहता है।
फ्रेडरिक की आंखों में संदेह था लेकिन अंदर से साधु के लिए थोड़ी आस्था भी थी।राजा ने साधु से कहा कि आखिर आप मुझे कैसे इसे सीखने का इरादा करते हो।
साधु मुस्कुराते हुए राजा से कहा अगर आप मुझे अनुमति दे तो मैं आपके साथ अपना ज्ञान साझा करने के लिए तैयार हूं। आइए हम साथ में एक आत्म खोज की यात्रा पर निकले,और शायद आपको ये पता चल जायेगा कि धैर्य की सच्ची ताकत का राज क्या है ?
राजा के मन में थोड़ा हिचकिचाहट थी।लेकिन राजा फ्रेडरिक ने ने साधु के प्रस्ताव को स्वीकार किया। इस तरह साधु राजमहल में नियमित रूप से आते रहते थे,राजा के साथ लंबे समय तक गहरे वार्तालाप करते हुए उसे मनोविज्ञान और स्वयं के जागरूकता के महत्व के बारे में बताते थे लेकिन शुरू में राजा गुस्से के साथ ही सुनता था।उसकी तुरंत प्रतिक्रियाएं आती थी।लेकिन समय के साथ उसने साधु के शब्दों में रुचि बढ़ाई और एक परिवर्तन उसके अंदर होने लगा।
धीरे-धीरे राजा फ्रेडरिक ने अपने गुस्से को धैर्य और समझ के साथ नियंत्रित करना सीख लिया।उसने पाया कि क्रोध में निर्णय से पहले विचार करने से वह अधिक बुद्धिमानी से निर्णय ले सकता है और अपने प्रजा के सम्मान और वफादारी को जीत सकता है।
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एक दिन जब साधु कावियन और राजा फ्रेडरिक महल के बाग में बैठे थे। जिसमें फूलों की चमक और पानी की धारा बह रही थी। तब राजा ने साधु के प्रति आभार और सम्मान भरी आंखों से देखते हुए कहा,तुम्हारे मार्गदर्शन के लिए मैं तुम्हें धन्यवाद देता हूं।मैंने अपने क्रोध को नियंत्रित करना सीख लिया है। तुम्हारे मार्गदर्शन से ही मैंने बुद्धिमत्ता के साथ निर्णय लेना सीख लिया है। तुम्हारे धैर्य के ज्ञान ने मुझे अपनी अंदर की शक्ति को पहचाहनने में मदद की है।
साधु ने नर्म दिल से मुस्कुराते हुए कहा!महाराज मेरा सम्मान है आपकी सेवा करने का। साधु की बातों को सुनकर राजा फ्रेडरिक बहुत खुश हुआ।
वर्षों बीत गए और राजा फ्रेडरिक के शासन की नीव मजबूती से टिके रहे। राजा फ्रेडरिक ने नए ज्ञान और धैर्य के साथ जनता के जीवन में बदलाव करने के लिए काम किया। गरीबी को कम करने के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए और प्रकृति की रक्षा के लिए काम करते रहा।
उनके नेतृत्व में राज्य में काफी सुधार हो गया था। लेकिन शांति और समृद्धि हमेशा के लिए नहीं रही।पड़ोसी राज्यों में जंग की तैयारी हो रही थी। लोगों के दिल में घांतक और जंग की खबरें फैल रही थी। लोगों को अपने घर और अपने परिवार वालों की सुरक्षा के बारे में चिंता हो रही थी।
आने वाले संघर्ष के सामने राजा फ्रेडरिक ने दृढ़ता के साथ अपने ज्ञान और धैर्य से उन्हें सुलझाने के बारें में सोचा। उन्होंने वार्ता संधि से युद्ध को टालने के लिए समाधान खोजने के लिए काम किया,और युद्ध बचाव के लिए शांति के समाधान की तलाश की । पड़ोसी शासकों के पास अधिकारियों को भेज कर तलवार की बजाय शांति की पेशकश की,और युद्ध के तनाव को हल करने के लिए परिश्रम किया।
शुरू में उनके प्रयास व्यर्थ साबित हुए क्योंकि राजा के क्रोध की वजह से लोगों को उनके क्रुर व्यवहार का सामना करना पड़ा था। पर राजा अब पूरी तरह से बदल गया था। राजा ने शांति के नाम पर विचार विमर्श किया गया जिससे कि युद्ध के कठिनाइयों को समाप्त किया गया।और राज्य के बीच सहयोग और सम्मान की एक युग शुरू हुई।
लोग खुश हो गए उनके साथ उनके बुद्धिमान और दयालु राजा ने जो युद्ध के अत्याचारों को टालने में सफल हुए थे। साधु कवियन अपनी शांतिपूर्ण मठ में लौट आए थे। उनकी शिक्षाएं नए दिनों में राजा के दिल में निवास कर गई थी जो उन्हें बुद्धिमत्ता और दया के साथ शासन करने के लिए उत्साहित करती थी।
जैसे-जैसे वर्ष बीतता गया राजा की उपलब्धि बनी रही उसने न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि भलाई के रास्ते में भी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाया उसने अपने उत्तराधिकारी को तैयार करने पर भी ध्यान दिया।यह सिखाते हुए की दया बुद्धिमता और धैर्य के मूल्यों का महत्व क्या होता है ?उसने साधु कवियन की शिक्षाएं साझा की और उसके आत्म शासन और समझ को बढ़ावा दिया।
आखिरकार जब राजा का समय समाप्त होने वाला था तो उसने अपने विचारों पर गहरा विचार किया कि वहां जो परिणाम छोड़ेगा । उसका आने वाला परिणाम कैसा होगा। उसने जानना चाहा कि उसके द्वारा बनाए गए राज्य का भविष्य कैसा होगा।
उत्सुकता के साथ राजा ने अपनी वंशानुगत उत्तराधिकारी को तैयार करने पर ध्यान दिया,उसे समझाया कि कैसे दयालुता बुद्धिमंता और धैर्य का पालन करना है। उसने उसे बताया कि साधु कवियन के ज्ञान से धैर्य और आंतरिक शक्ति को कैसे अपनाया जाए।
जब राजा का समय अंत हुआ तो वहां आभासी आंखों से अपने युवा पुत्र को देखते हुए खुश हो गया। जब उसने अपने पुत्र सिंहासन पर बैठने का अधिकार उसे सोंपा तो उसने जान लिया कि राज्य का भविष्य अब सुरक्षित है।
और भले ही उसके दिन साधु के शांति भरे मठ में खत्म हो गए थे।लेकिन उनका योगदान हमेशा के लिए याद किया जाएगा। वो न केवल राजा के शांतिपूर्ण शासन की सहायता की बल्कि उसने उसे धैर्य और समझ के माध्यम से सही मार्ग पर चलने में मदद की।
जैसे जीवन के चक्र आगे बढ़ते गए वह शांति के संदेश को आगे बढ़ाने में सक्रिय रहे,उसके धैर्य की समझ और दया के प्रेरणात्मक उद्धरण के माध्यम से।और जैसे उसने अपनी संतान को योग्य बनाने का प्रयास करता रहा । उसने यह जान लिया कि उसकी विरासत में उत्तराधिकारी भी उसकी शिक्षाओं का पालन करेगा। उसके प्रदर्शन में समझ और दया दिखाएगा और राज्य को नेतृत्व करने के लिए तैयार होगा।
उसने कभी नहीं बोला कि इसकी उपलब्धियां का अर्थ सिर्फ उसके व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं था बल्कि उसकी प्रजा के हित में भी था।
जैसे-जैसे राजा बड़े होते गए उनके द्वारा किए गए कार्यों की महत्वपूर्ण यादें उनके लोगों के दिलों में सदा तक बस गई।उनका नेतृत्व उनकी बुद्धिमत्ता और उनकी धैर्यशीलता ने उन्हें अपने लोगों के दिलों में स्थापित कर लिया।
उनका समय आया कि वो इस संसार को अलविदा कहे। तो वो अपने उत्तराधिकारी को धन्यवाद देते हुए उसे अपने आत्म समर्पण और नेतृत्व की महत्वपूर्ण गुणों का अनुरोध करते हुए अपने राज्य को आगे बढ़ाने का प्रोत्साहन देते हुए देते हुए,और यह सुनिश्चित करते हुए कि वहां अपने प्रजा के हित में काम करें।
इस तरह संघर्ष के बाद राजा के शासनकाल का राज समृद्धि शांति और प्रकृति से भरा रहा। इस तरह राजा के नेतृत्व की कहानी पूरे राज्य के लोग और उसके उत्तराधिकारी राजा फ्रेडरिक के प्रयासों को कभी भूला न पाई।
साधु कवियन अपने निर्धारित ध्यान और साधना के साथ निरंतर अपने धर्म का पालन करते रहे। उनके शिष्य को मार्गदर्शन और प्रेरणा देते रहे और उन्होंने सदैव अपना ध्यान साधना और लोगों को सही रास्ता दिखाने में लगा दिया।
इस प्रकार धीरे-धीरे राजा और साधु की कहानी एक सशक्त और सकारात्मक संदेश लेकर लोगों के दिलों में स्थान बना लिया। साधु ने धैर्य,समझ और दया की मूल्य को राजा को सिखाया और उनकी कहानी आगे बढ़ते वक्तों में भी लोगों के लिए हमेशा एक प्रेरणा स्रोत बनी रही।
सीख
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि क्रोध में आप कोई भी काम सही नही कर सकते। क्रोध आपको गलत रास्ते पर ले जाकर भटका देती है। क्रोध एक अस्थाई भावना है,लेकिन धैर्य एक गुण है जो सदैव बना रहता है।धैर्य और आंतरिक शक्ति से हम अपने अंदर बदलाव ला सकते हैं। क्रोध में निर्णय से पहले विचार करने से आप अधिक बुद्धिमानी से निर्णय ले सकते हो।
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